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सम्पर्क संस्थान परिवार

संपर्क संस्थान

15 अगस्त 2001 को संपर्क संस्थान नामक सामाजिक संस्था का गठन प्रेस क्लब अध्यक्ष अनिल लढ़ा व उनके 11 साथियों ने मिल कर किया था । सामाजिक सरोकारों से जुड़े शिक्षा चिकित्सा व खेलकूद के साथ कला व राजस्थानी संस्कृति को आगे बढ़ाने के उद्देश्य से संस्थान ने अपना कार्य करना शुरू किया। संस्थान का रजिस्ट्रेशन 1 सितंबर 2009 को हुआ। संस्था सदस्यों ने अपने स्तर पर स्वयं के व्यवसाय के मुनाफे से 15% राशि खर्च करने का निर्णय कर सेवा के कार्य प्रारंभ किए। ब्लड डोनेशन केम्प , मेडिकल कैंप, घायलों को हर संभव मदद के साथ संस्थान का मुख्य प्रकल्प सेव बेटी सेफ बेटी था। इस आयोजन के तहत शिक्षा से लेकर उनकी शादी तक का जिम्मा संस्थान के सदस्यों ने लिया । सुखद बात यह है संस्थान द्वारा सामाजिक कौमी एकता के तहत राजस्थान के विभिन्न क्षेत्रों में सर्वधर्म सामूहिक विवाह सम्मेलन आयोजित करवा कर अब तक 15 सौ से भी ज्यादा जोड़ों को परिणय सूत्र में बांधा जा चुका है। सामाजिक समरसता के साथ ही साहित्य गतिविधियों के तहत संस्थान नवोदित ऊर्जावान कवि और कवयित्रियों को साथ लेकर 30 से भी ज्यादा कविता, लघु कथा व कहानी की पुस्तकों का विमोचन करवा चुका है।

सम्पर्क संस्थान एक परिचय

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मेरी बात
परहित सरिस धर्म नहिं भाई । परपीड़ा सम नहि अधमाई !! दूसरों की भलाई के समान कोई पुण्य नहीं है। ईश्वर ने हमें अनमोल मानव जीवन दिया है, हमने जो कुछ मान सम्मान धन अर्जित किया है इस समाज से ही किया है। अतः हमारी भी कुछ जिम्मेवारी समाज देश व मानवता के प्रति है, जिन्हें हमें निस्वार्थ भावना से निभाना चाहिए। ईश्वर से कभी भूल नहीं होने देने व सदैव परमार्थ में लगे रहने की प्रार्थना व माता-पिता एवं गुरुजनों के आशीर्वाद से ही हमें समाज सेवा की प्रेरणा मिलती है। छोटे-छोटे योगदान से भी हमारे समाज का भला हो सकता है इसी सोच के साथ हमने सम्पर्क संस्थान की 21 वर्ष पूर्व स्थापना की थी व समाज व देश के प्रति अपने कर्तव्य तथा दायित्वों का निर्वहन करते हुए समाज सेवा में उत्कृष्ट परिणाम देकर यह साबित कर दिया कि सफलता की डोर उसी के हाथों में होती है जो उसकी प्रबल सोच रखता है और उसे सोच को पूरा करने के लिए कड़ी मेहनत करता है। एक मित्र एक दार्शनिक एक पथ प्रदर्शक स्लोगन के साथ चलने वाला संपर्क आज देश भर में एक बड़ा परिवार बन गया है। सेवा, शिक्षा व साहित्य त्रिवेणी वाला संपर्क आज परिचय का मोहताज नहीं है। देश ही नहीं विदेशों तक में भी जिस तरह सेवा भाव से साथी सदस्य एक कड़ी से कड़ी जोड़ कर सेवा में लगे हुए हैं वह गौरव वाली बात है। हम लोगों ने 21 साल पहले सोचा भी नहीं था कि नन्हा सा संपर्क नाम का पौधा आज व वटवृक्ष बन जाएगा। व्याख्याता चार्टर्ड अकाउंटेंट पत्रकार, डॉक्टर, ब्यूरोक्रेट्स, जनप्रतिनिधि सभी वर्ग के लोग एक माला की तरह साथ जुड़कर समाज सेवा ही नहीं शैक्षिक चिकित्सा सेवा के अनेक कार्य में एक जाजम पर आकर जी जान से जुटे हुए हैं। संपर्क के सेवा कार्यों का ही परिणाम है कि देश के प्रधानमंत्री, कई मुख्यमंत्री कई सांसदों,जनप्रतिनिधियों ने संपर्क को सराहा भी है और साथ में चलें भी है। संपर्क का सेव बेटी सेफ बेटी मिशन का नतीजा यह रहा कि आज देश भर में संपर्क ने 325 से ज्यादा बेटियों को गोद लेकर उनका लालन-पालन से लेकर शादी तक का जिम्मा ले रखा है। हमारी साहित्यिक टीम ने तो अपने 5 साल के अल्प कार्यकाल में समन्वयक रेनू शब्द मुखर के संयोजन में देश देश में अपना परचम फहराया है। इस टीम ने महिला दिवस, शिक्षक दिवस के साथ ही अनेकों कार्यक्रम करवा कर अपनी अमिट छाप छोड़ी है। मुझे गर्व है कि मैं इस परिवार का मुखिया हु व मुझे एक ऐसी माला मिली है जिसमें हीरे मोती जड़े हुए है। मुझे आशा ही नही पूर्ण विश्वास है की आप सब का स्नेह साथ आशीर्वाद हमेशा इसी तरह मिलता रहेगा।

सामाजिक सराकारों में अग्रणी है सम्पर्क संस्थान

  • शिक्षा, साहित्य व समाज सेवा का पर्याय सम्पर्क संस्थान आज परिचय का मोहताज नहीं है। विगत 20 वर्षों से सामाजिक सरोकारों में अग्रणी सम्पर्क संस्थान आज एक संस्थान नहीं परिवार है। देशभर में 823 सदस्यों वाले इस संस्थान ने कोरोनाकाल में अपनी महत्ती भूमिका निभाकर अभूतपूर्व कार्य किया। जिसकी बदौलत राज्य के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत सहित देशभर के 40 से ज्यादा सांसदों व विधायकों ने संस्थान को कोरोना फाइटर्स का नाम दिया है। सेफ बेटी, सेव बेटी मिशन के साथ प्रारंभ हुआ सम्पर्क का सफर देश के विभिन्न राज्यों में पहुंच चुका है। शिक्षा, साहित्य व सेवा में देशभर में सम्पर्क के कार्यकर्ता जुड़े हुए है। सम्पर्क साहित्यिक संस्था में 300 से ज्यादा देश-विदेश के नामचीन साहित्यकार व नवोदित कवयित्रियां शामिल है। संस्था ने लॉकडाउन में भी डिजीटल माध्यम से अनेकों वर्चुअल कार्यक्रम करवाकर विदेशों में भी अपना परचम फहराया है तथा लॉकडाउन के दौरान संस्था ने जरूरतमंदों को लगातार आवश्यकतानुसार मदद की है।

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